भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 की धारा - 61
(आपराधिक षड्यन्त्र)
(1) जब दो या अधिक व्यक्ति-
(क) कोई अवैध कार्य, अथवा
(ख) कोई ऐसा कार्य, जो अवैध नहीं है, अवैध साधनों द्वारा, करने या करवाने के लिए सामान्य उद्देश्य के साथ सहमत होते हैं, तब ऐसी सहमति आपराधिक षड्यंत्र कहलाती है :
परन्तु किसी अपराध को करने की सहमति के सिवाय कोई सहमति आपराधिक षड्यंत्र तब तक न होगी, जब तक कि सहमति के अलावा कोई कार्य उसके अनुसरण में उस सहमति के एक या अधिक पक्षकारों द्वारा नहीं कर दिया जाता।
व्याख्या. - यह तत्वहीन है कि अवैध कार्य ऐसी सहमति का चरम उद्देश्य है या उस उद्देश्य का आनुषंगिक मात्र है।
(2) जो कोई, - (क) मृत्यु, आजीवन कारावास या दो वर्ष या उससे अधिक अवधि के कठिन कारावास से दण्डनीय अपराध करने के आपराधिक षड्यंत्र में शरीक होगा, यदि ऐसे षड्यंत्र के दण्ड के लिए इस संहिता में कोई अभिव्यक्त उपबन्ध नहीं है. तो वह उसी प्रकार दण्डित किया जाएगा, मानो उसने ऐसे अपराध का दुष्प्रेरण किया था।
(ख) पूर्वोक्त रूप से दण्डनीय अपराध को करने के आपराधिक षड्यंत्र से भिन्न किसी आपराधिक षड्यंत्र में शरीक होगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि छह मास से अधिक की नहीं होगी, या जुर्माने से, या दोनों, से दण्डित किया जाएगा।
अपराध का वर्गीकरण
खंड (क): दण्ड- वही, जो उस अपराध के, जो षड्यन्त्र द्वारा उद्दिष्ट है, दुष्प्रेरण के लिए है-इसके अनुसार कि अपराध, जो पड़यन्त्र द्वारा उद्दिष्ट है, संज्ञेय है या असंज्ञेय- इसके अनुसार कि वह अपराध जो षड्यन्त्र द्वारा उद्दिष्ट है, जमानतीय है या अजमानतीय- उस न्यायालय द्वारा विचारणीय जिसके द्वारा उस अपराध का दुष्प्रेरण, जो षड्यन्त्र द्वारा उद्दिष्ट है, विचारणीय है- अशमनीय।
खंड (ख): दण्ड- 6 मास के लिए कारावास, या जुर्माना, या दोनों - असंज्ञेय - - जमानतीय-प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय - अशमनीय।